दिल की बीमारी और हाई-बीपी वालों को दूसरी बार कोरोना होने का खतरा ज्यादा

दिल की बीमारी और हाई-बीपी वालों को दूसरी बार कोरोना होने का खतरा ज्यादा

सेहतराग टीम

कोविड-19 के मामले काफी तेजी से पूरी दुनिया में बढ़ रहे हैं। भारत समेत कई देशों में इसने तबाही मचा रखी है। वहीं अन्य देशों के मुकाबले भारत को थोड़ी राहत है क्योंकि यहां पर बहुत जल्द ही लोग ठीक हो रहे हैं। ICMR ने लोगों को सचेत किया है कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा दिल, शुगर और बीपी के मरीजों को है। दरअसल एक अध्ययन में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि जो लोग हार्ट और हाई बीपी से पीड़ित हैं और कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को कोरोना वायरस दोबारा हो सकता है।

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ये अध्ययन चीन में होजहोंग विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने किया है। अध्ययन में वुहान हॉस्पिटल में भर्ती 938 मरीजों के डाटा को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मरीजों के फेफड़ों से कोरोना संक्रमण पूरी तरह ठीक नहीं होता। टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव आने पर इन्हें स्वस्थ्य मान लिया जाता है, पर कुछ दिन बाद कोरोना वायरस फिर से इन मरीजों पर हमला करता है। आम मरीजों की तुलना में हार्ट और हाई बीपी के मरीजों के लिए यह स्थिति अधिक घातक हो सकती है।

कोरोनावायरस श्वसन तंत्र, नाक और गले को प्रभावित करता है। जो लोग पहले से डायबिटीज, हार्ट संबंधी किसी भी बीमारी या ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, उन पर यह वायरस आसानी से हमला कर देता है। शरीर में पहले से मौजूद इन बीमारियों के कारण इन लोगों के लिए इस स्थिति से उबरना मुश्किल होता है। वहीं दूसरी बार हमला हो जाए तो शरीर हिम्मत हार जाता है।

आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च) ने अपनी गाइडलाइंस में स्पष्ट उल्लेख किया है कि लंबी बीमारी से पीड़ित मरीजों को अपना ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले तो आईसीएमआर ने साफ कहा है कि उक्त बीमारियां होने का मतलब यह नहीं है कि कोरोना संक्रमण होगा ही। इसके बाद बताया है कि ऐसे मरीजों को डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करते रहना चाहिए। हो सकता है कि समय-समय पर डॉक्टर दवा में बदलाव करें, तो भी दवाओं को नियमित सेवन सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही कोरोना वायरस और लॉकडाउन संबंधी स्वस्थ्य मंत्रालय और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए।

 

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